बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
अथवा
टैंकों की विशेषतायें, परिसीमायें तथा इसका सामरिक उपयोग बताइए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कवचयुक्त सेना (Tanks) की विशेषतायें बताइए।
2. कवचयुक्त सेना के महत्व पर प्रकाश डालिए।
3. कवचयुक्त सेना का सामरिक उपयोग बताइए।
उत्तर -
(Indian Armoured Corps )
प्राचीन कवचित घुड़सवार सेना का स्थान यंत्रीकरण के बाद कवचयुक्त गाड़ियों तथा टैंकों ने ले लिया है। सर्वप्रथम टैंकों का प्रयोग प्रथम महायुद्ध में ब्रिटेन ने जर्मनी के विरुद्ध किया था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद से अब तक टैंकों में निरन्तर सुधार किये गये हैं और अब टैंक स्थल सेना का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। विभिन्न प्रकार के टैंकों का वर्गीकरण निम्नलिखित हैं -
1. कवचित कार (Armoured Car) : यह रबर के पहियों की हल्के से कवच की गाड़ी होती है जिसकी गति तेज होती है। इसीलिए इसका प्रयोग टोह लगाने (Recee), पैदल सेना अथवा गतिशील मोटरों की सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस पर दो मशीनगनें लगी रहती हैं। इसके बुर्ज पर बैठकर सैनिक अपने हथियारों से फायर करते हैं।
2. हल्के टैंक : इनका वजन 5-6 टन का होता है तथा इनकी गति 20 से 40 मील प्रति घंटा होती है। यह टैंक बहुत गतिशील होते हैं। इनका प्रयोग गश्त लगाने तथा शत्रु पर पार्श्व या पीछे से आक्रमण करने के लिए किया जाता है। इस पर 37 एम०एम० की एक तोप लगी रहती है। इसका प्रयोग भागती हुई शत्रु सेना का पीछा करने के लिए भी किया जाता है।
3. मझोला टैंक या क्रूजर टैंक - इनका वजन 20-30 टन होता है। इनका कवच अपेक्षाकृत मोटा होता है। अतः इनकी गति भी 20-25 मील प्रति घंटा होती है। सामान्यतया इस पर एक तोप, तथा कुछ मशीनगनें लगी होती हैं। इन्हें शत्रु की प्रतिरक्षा पंक्ति को तोड़ने के लिए काम में लाया जाता है ताकि पैदल सेना का काम सुगम हो जाये। ये धुएं के गोले भी फायर करती हैं। भारतीय सेना में सेन्चूरियन (Centurion), शरमन (Sherman) तथा विजयंत इसी श्रेणी के टैंक हैं।
4. भारी टैंक : इनकी गति बहुत कम होती है तथा इनका वजन 30 से 80 टन तक होता है। इनका कवच पांच इंच मोटा होता है। इनको शत्रु की किलेबन्दी को तोड़ने के लिए पैदल सेना के आगे रखा जाता है। यह चलते-फिरते आग उगलने वाले दानव प्रतीत होते हैं। इस प्रकार के टैंकों पर एक तीन इंच व्यास की तोप तथा 5 मशीनगनें लगी रहती हैं। चर्चिल, स्टालिन, एमेक्स तथा जर्मनी के रॉयल टाइगर्स इसी प्रकार के टैंक हैं।
भारत ने हाल ही में 1996 में अर्जुन नामक भारी टैंक तैयार करके थल सेना में शामिल किया है। यह टैंक अन्य सभी टैंकों की तुलना में अधिक विध्वंसक है। भारतीय थल सेना में 120 अर्जुन टैंक शामिल किये गये हैं।
उपयुक्त टैंकों के अतिरिक्त कुछ अन्य टैंक विभिन्न कार्यों के लिए विशेष रूप से तैयार किये गये हैं जैसे -
(i) माइन स्वीपिंग टैंक इसमें शत्रु की बिछाई गई सुरंगों को हटाने के यंत्र लगे होते हैं।
(ii) ब्रिज लाइंग टैंक इन टैंकों पर बने बनाये पुल रखे रहते हैं जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर नदियों और खाइयों पर बिछा दिया जाता है।
(iii) डोजर टैंक : इन टैंकों का प्रयोग सड़कें बनाने तथा मैदान साफ करने के लिए किया जाता है।
(iv) एम्बीबयस टैंक : ये टैंक पानी तथा भूमि दोनों पर चल सकते हैं।
(v) झेलम थ्रोइंग टैंक : इनका प्रयोग शत्रु की 'पिल बाक्स' सुरक्षा को तोड़ने के लिए किया जाता है। इसकी आग 150 गज तक जाती है।
(1) कवचयुक्त सेनाओं (टैंकों) की विशेषतायें : कवच युक्त सेनाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
(i) सुरक्षित सेना : कवचयुक्त सेना अपने कवच के कारण अन्य सेनाओं से अधिक सुरक्षित होती है। टैंकों की चादर मोटी तथा तिरछी करके लगाई जाती है जिस कारण इस पर छोटे-छोटे अस्त्रों का कोई असर नहीं होता है अतः इसमें बैठा हुआ सैनिक दल शत्रु के फायर से सुरक्षित रहता है। कवच जितना ही मोटा होगा वह उतने ही बड़े अस्त्रों से सुरक्षा प्रदान करेगा।
(ii) फायर शक्ति : टैंकों की फायर शक्ति बहुत अधिक तथा विध्वंसक है। अतः इनका प्रयोग शत्रु में भय पैदा कर देता है। टैंकों पर लगी गन टरेट् को चारों तरफ घुमाया जा सकता है। अतः ये चारों तरफ से दबाव डालने वाली शत्रु सेना पर उस गन के द्वारा गोलियों तथा बमों की वर्षा करके शत्रु सेना का विनाश कर देती है।
(iii) गतिशीलता : टैंकों की गतिशीलता बहुत होती है। अपनी गतिशीलता के कारण यह एक लम्बे-चौड़े क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं। ये लोहे के पहियों से मोटी जंजीर के ऊपर चलते हैं अतः जमीन की विषमता इनके लिए रुकावट नहीं डालती केवल गतिशीलता ही कुछ कम हो जाती है।
(iv) लचीलापन : टैंकों की तोपों व मशीनगनों को मनचाही दिशा में चारों तरफ घुमाया जा सकता है तथा वायुयानों पर भी फायर किया जा सकता है। इस प्रकार टैंक की भारी गोला-बारी में अति लचीलापन (Flexibility) भी होता है।
(v) बाधाओं को कुचलने की शक्ति - टैंक आकार में बड़े तथा भारी होते हैं। इस कारण उसमें बड़ी-बड़ी रुकावटों अथवा बाधाओं जैसे कांटेदार तारों की पंक्तियाँ, छोटे-छोटे पेड़, तोपों तथा मशीनगनों की खाइयों को रौंदने अथवा कुचलने की विलक्षण शक्ति होती है।
(vi) शत्रु एवं स्वयं के सैनिकों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव - इसकी प्रभावशाली भार, विशाल आकार, तीव्र गतिशीलता, सुरक्षित आक्रमणकारी क्षमता तथा इसके विरुद्ध, थल सेना की असमर्थता। शत्रु की सेना के मनोबल का पतन करती है तथा उनकी उपस्थिति स्वयं की सेना के मनोबल व उत्साह में वृद्धि कर देती है। इन विशेषताओं के अतिरिक्त भी कवचयुक्त सेना में कई अन्य विशेषताएँ होती हैं जैसे इनफ्रारेड डिवाइस ( Infrared Device) के कारण टैंक रात में भी कारगर ढंग से कार्य कर सकते हैं।
(2) कवचयुक्त सेना (टैंकों) की परिसीमाएँ: कवचयुक्त सेना (टैंकों) की कुछ परिसीमाएँ होती हैं जो निम्नलिखित हैं-
(i) आकार बड़ा होने के कारण ये तोपखाने के लिए बड़े अच्छे लक्ष्य सिद्ध होते हैं।
(ii) चलते समय उनसे निकलने वाली ध्वनि बहुत अधिक तेज होती हैं अतः उनकी उपस्थिति का पता चल जाता है।
(iii) टैंक के पहियों की जंजीर को तोड़ देने से टैंक गति करने में असमर्थ हो जाते हैं।
(iv) इनके लिए तेल की सप्लाई पूर्ति करना एक विकट समस्या होती है और तेल न मिलने पर यह व्यर्थ सिद्ध होते हैं।
(v) इनका निर्माण तकनीकी में बहुत धन व्यय होता है। इनका प्रशिक्षण भी काफी कठिन होता है।
(vi) टैंकों के भीतर बैठे चालकों को देखने के लिए छोटे-छोटे सुराख होते हैं जिनके कारण उनकी दृष्टिगोचरता सीमित होती है। ये नजदीक की वस्तुओं को देखने में असमर्थ हैं।
(vii) उनके गतिशील यंत्रों में टूट-फूट अधिक होती है अतः उनकी मरम्मत तथा रख रखाव की बहुत बड़ी समस्या है।
(viii) इनके कुछ हिस्से पुर्जे बहुत नाजुक होते हैं जैसे इनकी जंजीर, दृष्टि यंत्र हवा के आने- जाने के छिद्र, दरवाजे आदि। शत्रु इन्हीं मर्मस्थलों (Vulnerable Parts) को निशाना बनाकर इनको नष्ट कर सकता है।
(ix) क्योंकि टैंकों के अस्त्र 25 से कम के बीच के क्षेत्र में फायर नहीं कर सकते इसीलिए टैंक विरोधी छोटे हथियारों, जैसे हथगोला, राकेट लांचर तथा आधुनिक RCL गनों के द्वारा पैदल सेना भी टैंक को नष्ट कर डालती है।
(x) अधिक गहरी तथा चौड़ी खाइयाँ, बड़ी-बड़ी कटाने, दलदली क्षेत्र तथा घने जंगलों में मोटे- मोटे पेड़ इन टैंकों के लिए बाधायें हैं।
(xi) शत्रु खाइयाँ खोदकर या सुरंग बिछाकर टैंकों को जाल में फंसा लेता है या नष्ट कर देता है।
(3) कवचयुक्त सेना का सामरिक उपयोग अथवा कार्य - कवचयुक्त लड़ाकू गाड़ियों के सामरिक कार्य निम्नलिखित हैं-
(i) अन्य सेनाओं को सहयोग देना - कवचयुक्त लड़ाकू गाड़ियाँ या टैंकों का प्रमुख कार्य पैदल सेना को आगे बढ़ने में सहयोग देना होता है। इसीलिए कवचित सेनाएँ पैदल सेना के आगे-आगे चलकर शत्रु तक पहुंचने तथा पीछे हटती हुई सेना के पीछे रहकर सुरक्षा प्रदान करती है। जब शत्रु सेना इकट्ठा होकर आक्रमण करने को होती है तो टैंकों के द्वारा उनके एकत्रित समूह पर भीषण फायर डालकर उनको तितर-बितर कर दिया जाता है। शत्रु की मोर्चेबन्दी को तोड़ने के लिए कवचित सेना का सहारा लिया जाता है। पैदल सेना के आक्रमण के समय टैंकों के द्वारा उन्हें कवरिंग फायर दिया जाता है जिससे उन्हें शत्रु तक पहुंचने में कम से कम हानि होती है। कभी-कभी टैंकों को भी पैदल सेना की सहायता की आवश्यकता पड़ती है। टैंक की निकट की दृष्टिगोचरता उत्तम नहीं होती इसीलिए पैदल सेना टैंक भेदी अस्त्रों तथा टैंक भेदी सुरंगों को ढूंढकर उन्हें साफ करती है और टैंकों को आगे बढ़ने में सहयोग प्रदान करती हैं।
(ii) स्वतंत्र प्रयोग : प्रारम्भ में तो टैंकों का कार्य केवल पैदल सेना के आगे-आगे चलते हुए शत्रु द्वारा डाले गये अवरोधों को दूर करना, सहायक फायर प्रदान करना तथा उनकी रक्षा करना था। परन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध से टैंकों ने स्वतंत्र रूप से कार्य करना शुरू कर दिया है। अन्य सेनांग कवचयुक्त सेना को सहयोग प्रदान करते हैं तथा आधुनिककाल में टैंक अधिकतर स्वतंत्र कार्यों के लिए ही प्रयोग किये जाने लगे हैं। आक्रामक कार्यवाही में टैंक स्वतंत्र रूप से कार्यवाही करते हैं।
(iii) पार्श्व रक्षा तथा पीछा करना - आक्रमण के समय स्वयं की सेना के पार्श्वों की रक्षा करने के लिए टैंकों का प्रयोग होता है। युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद भागती हुई शत्रु सेना का पीछा करके उसको नष्ट करना भी टैंकों का प्रमुख कार्य है।
इन कार्यों के अतिरिक्त छानबीन करने तथा शत्रु का पता लगाने के लिए भी केवल हल्के प्रकार के टैंकों का प्रयोग किया जाता है।
(iv) कवचयुक्त सेनाओं का संगठन - पैदल सेना की ही भांति कवच युक्त डिवीजन (Armoured division ) होते हैं। कवचयुक्त डिवीजन में एक कवचयुक्त ब्रिगेड (Armoured brigade), लारीवाहित पैदल सेना का एक ब्रिगेड (Lorried Infantry Brigade) तथा अन्य सेनायें होती हैं। एक आरमर्ड डिवीजन में लगभग 150 टैंक तथा 10,000 सैनिक होते हैं। कवचयुक्त सेना की यूनिट रेजीमेन्ट कहलाती है। ये रेजीमेन्ट दो प्रकार की मध्यम व हल्के टैंकों की होती है। प्रत्येक रेजीमेन्ट में 45 टैंक, 3 डोजर होते हैं। एक रेजीमेन्ट में एक मुख्यालय स्क्वेंड्रन तथा 3 लड़ाकू स्क्वेड्रन होते हैं। प्रत्येक लड़ाकू स्क्वेड्रन में कुछ टूप होते हैं। प्रत्येक स्क्वेड्रन में 14 टैंक और एक डोजर तथा प्रत्येक ग्रुप में 3 टैंक होते हैं।
कवचयुक्त सेनाओं का संगठन इस रेखाचित्र के द्वारा सरलतापूर्वक समझा जा सकता है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
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- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
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